इंदौर। आज जब पूरा देश कोरोना संकट से जूझ रहा है, ऐसे में शराब फैक्ट्रियों के मालिक सैनिटाइजर बनवाकर 3 गुना महंगा बेच रहे है। वहीँ, केमिस्ट वाले 4 गुना महंगा बेच रहे है। इस संकट की घडी में कई लोग चैरिटी के माध्यम से पीड़ितों की मदद करने में जुटे है, तो रुपयों के लालची मानवता को शर्मसार कर रहे है।
ऐसे जाने इनकी कमाई का गणित
एक पेटी में 50 बोतल आती है
एक बोतल में 180 एम.एल. सैनिटाइजर
कीमत वासूल रहे 90/- रुपये
अब लागत देखिये
180 एम.एल. सैनिटाइजर बनाने पर करीब 600 रुपये लागत आती है।
शराब फैक्ट्रियों से केमिस्ट को 2100/- रुपये की पेटी बेची जा रही है।
केमिस्ट वाला इस 50 बोतल की पेटी को 4500/- रुपये में बेच रहा है।
मध्यप्रदेश सरकार की अनदेखी
कुल मिलाकर देखा जाये तो एक तरफ सरकार ने शराब बनाने और बेचने पर पाबन्दी लगा रखी है. दूसरी ओर शराब फैक्ट्रियों वालों को तो सैनिटाइजर का लेबल लगाकर स्प्रीट बेचने में ज्यादा मुनाफा हो रहा है, क्योंकि शराब की पेटी 500/- से 600/- रुपये की होती है, जिसे 700/- रुपये में बेचा जाता है, लेकिन अब तो चांदी ही चांदी काटी जा रही है। इस खेल में सब मिले हुए है। आबकारी विभाग और स्वास्थ्य विभाग ने भी आखों पर पट्टी बांध ली है. जनता की फ़िक्र कौन करता है। केंद्र सरकार को मध्यप्रदेश की इस निति पर ध्यान देना जरुरी है, क्योंकि भ्रष्टाचारी इस विपदा के समय देश के साथ खड़े होने की बजाय रूपया बटोरने में लगे है।
जगजीतसिंह भाटिया
(प्रधान संपादक - जवाबदेही)